धर्म के नाम पर व्यापार का मुद्दा सिरे से किया खारिज
नाथद्वारा (कमल मानव)। मिराज समूह द्वारा १० वर्षो में करीब ३०० करोड़ रुपयों की लागत से निर्मित विश्व की सबसे ऊँची ३६९ फ़ीट की शिव प्रतिमा विश्वास स्वरूपम के बारे में विगत दिनों प्रचारित धर्म के नाम पर मनोरंजन की भ्रामक जानकारियों पर मुखर होते हुए ततपदम उपवन के ट्रस्टी मदन पालीवाल ने शनिवार शाम को प्रेस वार्ता आयोजित कर मीडियाकर्मियों से आग्रह किया कि वे स्वयं सत्य को परखने हेतु शिव प्रतिमा का अवलोकन कर सत्य को हूबहू जनता के सामने रख सकते हैं।
उन्होंने कहा कि स्थानीय जनता भ्रमित न हो ,एक ही असत्य को बार बार दोहराने पर वह थोड़ा थोड़ा सत्य का रूप लेने लगता है। सत्य परेशान हो सकता है पराजित नहीं। विश्वास स्वरूपम दर्शनीय स्टेचू है , न कि पूजनीय विग्रह। इसमें प्राण प्रतिष्ठा न होकर भावों की प्रतिष्ठा की गई हैं। शिव प्रतिमा उनके व्यक्तिगत भावों का स्वरुप है व आम जनता की धार्मिक आस्था को ध्यान में रखते हुए सम्पूर्ण परिसर में स्वच्छता का पूरा ध्यान रखा जाता है। शिव स्टेचू में जूते मौजे उतारने के बाद ही प्रवेश दिया जाता हैं ।
उन्होंने कहा कि यह कोई व्यावसायिक व्यापार न होकर एक ट्रस्ट है। ट्रस्ट के माध्यम से गौशाला में 600 नंदी व 1500 गौ माता को पाला जाता है, पक्षियों को दाना डाला जाता है। प्रतिदिन 500 से 1000 लोगों निःशुल्क भोजन उपलब्ध कराया जाता है । यहां प्रतिदिन रात को प्रोजेक्टर के जरिये शिव कथाओं का प्रदर्शन कर सनातन का ही प्रचार किया जाता है। शिव प्रतिमा से स्थानीय रोजगार को बढ़ावा मिला है व वैष्णवों के साथ साथ अन्य पर्यटकों का रात्रि ठहराव बढ़ा है।
स्टैचू के बनने के बाद से अभी तक १५ लाख पर्यटकों द्वारा भ्रमण के आंकड़े ट्रस्ट द्वारा ही जारी किये गए है, उन्हें देख कर कुछ लोगों द्वारा होने वाली आय के जो कयास लगाए जा रहे है वे सिर्फ एक वर्ष इसे संचालित कर अनुभव कर सकते है । चर्चाओं के बाजार में उपजे विवादों पर उन्होंने यह भी कहा कि सरकारी जमीन पर स्टैचू का निर्माण करना उनकी सबसे बड़ी भूल रही है, यदि विवाद जारी रहा तो इसे बंद भी किया जा सकता है।
सदन में जनप्रतिनिधियों द्वारा उठाये सवालों पर उनके द्वारा मौन रहते सिर्फ इतना अवश्य कहा गया कि उन्होंने जनहित में १५ वर्ष पूर्व नगर के चिकित्सालय में आईसीयू बनवाया है उसमें ह्रदय रोग विशेषज्ञ लगवाने की आवश्यकता है।
पालीवाल ने एक टीवी एंकर द्वारा विश्व स्वरूपम कहने पर स्पष्ट कहा कि जिन्हें विश्वास स्वरूपम बोलना नहीं आता, वे लोग इस पर टिप्पणी कर रहे है। यहां भाव से आओगे तो कंकर भी शंकर है और कुभाव से आओगे तो शंकर भी कंकर है । श्रद्धा और विश्वास से ही ऐसा स्वरुप खड़ा हो सकता है। मैं नाथद्वारा की गलियों में ही बड़ा हुआ हूँ, यहाँ चौपाटी पर मैंने पानी पिलाया है और मेरे मन में श्रीनाथजी के प्रति आस्था है यहाँ बचपन बीता तो यह उनकी ओर से एक पुष्प है जो श्रीजी के चरणों में भेंट है।
उल्लेखनीय है कि राजसमंद सांसद एवं नाथद्वारा विधायक द्वारा संसद और विधानसभा में विगत दिनों विश्व की सबसे ऊँची शिव प्रतिमा विश्वास स्वरूपम पर धर्म की आड़ में मनोरंजन का मुद्दा उठा कर देशभर की जनता का ध्यान इस ओर आकर्षित किया गया था
साथ ही बता दे कि शिव प्रतिमा निर्माण के पश्चात विगत कई समय से नाथद्वारा नगरपालिका की सत्तारूढ़ महिला पार्षद व उसके पति द्वारा नगरपालिका द्वारा आवंटित भूमि को लेकर न्यायालय में वाद दर्ज कराते हुए आवंटन में अनियमितता का आरोप लगाया जा रहा है ।