जो होना है, वो होकर रहेगा,उस भय का कोई अर्थ नहीं – मुनि अतुल

राजसमन्द@राजसमन्द टाइम्स। युग प्रधान आचार्य श्री महाश्रमण के आज्ञानुवर्ती शासन श्री मुनि रविंद्र कुमार एवं मुनि  अतुल कुमार भिक्षु विहार केलवा में विराज रहे हैं। प्रातः कालीन आध्यात्मिक प्रवचन माला में मुनि अतुल कुमार ने कहा समय हमारे हिसाब से नहीं चलता है। हम समय के हिसाब से चलते हैं। क्योंकि हम नियति का हिस्सा हैं ।जो होना है,वो होकर रहेगा। उस भय का कोई अर्थ नहीं। जैसे मौत होनी है, होगी। उससे भय क्या ? निश्चित है,होगी ही। भयभीत होओ या न होओ,होगी ही । देह जराजीर्ण होनी है, होगी। बुढ़ापा आना है, आएगा ही। उससे भयभीत क्या होना है, जो होना ही है। लेकिन हम बड़े भयभीत हैं। हम जीवन के तथ्यों से भयभीत हैं। हम जीवन के तथ्यों को झुठलाना चाहते हैं। हम चाहते हैं सब बुड्ढे हों, हम न हों। सब मरें,हम न मरें, जीवन हमारे लिए अपवाद कर दे तो हम कंप रहे हैं। और हम जानते भी हैं गहरे में कि यह होने वाला नहीं है। अपवाद कभी कोई हुआ नहीं इसलिए डर भी लगा है। पैर जमाकर खड़े हैं, जानते हुए की पैर उखड़ेंगे।इस भय के कारण हम क्या-क्या कर रहे हैं, थोड़ा सोचो। इस भय के कारण हम धन इकट्ठा करते हैं कि शायद धन से थोड़ा बल आ जाए। इस भय के कारण हम प्रतिष्ठा इकट्ठी करते हैं कि नाम-धाम लोक में ख्यात हो जाएं तो कुछ सहारा मिल जाए।इस भय के कारण हम पूजा करते हैं, प्रार्थना करते हैं। जिंदगी में आने वाले परिणाम को बड़े दिल से स्वीकार कर लें। क्योंकि परिणाम हमेशा पक्ष में नहीं आता है।एक चिट्ठी लिखें, खुद को। उसमें अपने मन में जो भी कुछ भरा हुआ है, सब बाहर निकाल दीजिए। सब कुछ, भले ही चिट्ठी लंबी हो जाए। होने दीजिए, आप लिखते रहिए। आप क्यों दुखी हैं, दुख का कारण क्या है, किसने आपको दुखी किया, किस घटना ने आपको व्यथित किया….।सब कुछ। चिट्ठी लिखते लिखते ही एक समय ऐसा आएगा कि ये काम आपको उबाऊ लगने लगेगा आपको महसूस होगा कि आपकी आधी चिंताएं, परेशानियां,डर सब अनावश्यक ही है वास्तव में इसमें इतना दुखी होने या डरने वाली कोई बात ही नहीं है बाकी की आधी परेशानियों से लड़ने का साहस उनसे निपटने की तिगड़म आप खुद ही जुटा लेंगे क्योंकि धीरे-धीरे आपके मन का गुबार निकल चुका होगा। आप शांत और व्यवस्थित महसूस करेंगे अगर स्थिति बहुत ही विकट है तो भी इसी नियम का प्रतिदिन कड़ाई से पालन करें।

मुनि रविंद्र कुमार ने मंगल पाठ सुनाया। प्रवचन सुनने बडी संख्या में श्रावक उपस्थित रहे।