नाथद्वारा। पुष्टिमार्गीय संप्रदाय में प्रभु श्री कृष्ण को प्रिय श्री तुलसी जी का विशेष महत्व है । श्रीजी प्रभु की सेवा में विशेष रूप से भोग सेवा जब पधारती है तो तुलसी दल के बिना यह सेवा अधूरी मानी जाती है, क्योंकि प्रभु बिना तुलसी के कभी भी भोग नहीं अरोगते हैं । इसलिए तुलसी पत्र प्रभु एवं प्रभु के वैष्णव के लिए सर्वाधिक प्रिय एवं पवित्र रूप में माने जाते हैं जिससे वल्लभ कुल परिवार के सदस्यों के संपूर्ण जीवनकाल में आरंभ से लेकर अंत तक व लीला होने के बाद भी तुलसी पत्र का विशेष महत्व व मान्यता है।
वल्लभ कुल में श्री तुलसी जी के महत्व एवं इनके जीवन में तुलसी की सर्वोच्च स्थान होने के कारण तुलसी क्यारे की स्थापना को लेकर एक बड़ी अद्भुत रीत एवं संस्कार है। श्रीजी प्रभु के प्राकट्यस्थल जतीपुरा में श्री गिरिराज जी जो की पुष्टि मार्ग एवं श्री वल्लभ कुल का मूल स्थल माना जाता है ,वही श्री गिर्राज जी की तलहटी में श्री मुखारविंद के समीप ही यह तुलसी क्यारा जो वल्लभ कुल की लीला स्थली के रूप में प्रसिद्ध है स्थित है।
इस स्थल की विशेषता एवं महत्व वल्लभ कुल की रीत एवं संस्कार में इस बात का है कि जब वल्लभ कुल परिवार में किसी सदस्य का श्रीजी शरण या लीला (गौलोक वास ) हो जाता है तो उनकी फूल ( अस्थियां ) सूक्ष्म रूप में यहां की पवित्र रज में पधरा दिए जाते हैं एवं वल्लभ कुल के पूर्वजों की स्मृति में उस पवित्र तुलसी रज में कलात्मक सुंदर तुलसी क्यारे का निर्माण कर तुलसी जी के पौधे का रोपण कर दिया जाता है । इस परंपरा के पीछे मुख्य भाव यही है कि जितने भी नित्य लीलास्थ वल्लभ कुल परिवार के सदस्य हैं वे श्रीजी प्रभु के प्राकट्यस्थल में प्रभु के चरण -शरण में लीन होकर प्रभु के सामीप्य रहकर अपनी भाव सेवा कर सके एवं सदा सदा के लिए प्रभु के चरण- शरण में रहे।
यहां स्थित तुलसी क्यारे जिनमें प्रमुख रूप से वल्लभ कुल परिवार के नित्यलीलास्थ सदस्यों में नि. लि. गो. ति. श्री गिरधारी लाल जी महाराज, नि.लि. गो. ति. श्री गोविंद लाल जी महाराज, नि. लि. सौ. का. विजयलक्ष्मी बहूजी, नि. लि. गो. ति. श्री राजीव जी महाराज, नि. लि. सौ. का. महालक्ष्मी बहूजी के पवित्र तुलसी क्यारे स्थित हैं ।
अभी हाल ही में गो.ची. 105 श्री विशाल बाबा साहब की ब्रज यात्रा के दौरान श्री बावा साहब ने तुलसी क्यारे स्थल पर पधारकर अपने नित्यलीलास्थ पूर्वजों को तुलसी क्यारे में जल अर्पण कर अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किए। श्री विशाल बाबा साहब की ब्रज यात्रा का मुख्य उद्देश्य कोरोना काल की एक लंबी अवधि के पश्चात श्रीजी प्रभु की लीला स्थलों में पधार कर वहां की व्यवस्था और सेवा संबंधी व्यवस्था का अवलोकन करना और सेवा संबंधी दिशा निर्देश देना जिससे की सेवा में सहज ता एवं सरलता रहे। विशाल बावा ने अपनी ब्रज यात्रा के दौरान जतीपुरा में मुखारविंद, मदन मोहन जी मंदिर, श्री गुसाईं जी की बैठक, श्रीमद् गोकुल में स्थित राजा ठाकुर मंदिर एवं महाप्रभुजी की ब्रज में स्थित बैठकों में पधार कर प्रभु से यही प्रार्थना की कि कोरोना काल के बाद सभी कुशल मंगल हो एवं श्रीजी प्रभु संपूर्ण वल्लभ पुष्टि सृष्टि की रक्षा करें।