जितनी तपस्या हमारे जीवन में है, हम उतने ही दृढ़ और स्थिर बनते हैं -मुनि अतुल

तेरापंथ महिला मंडल की ओर से सामूहिक एकासन (101) तप अनुष्ठान आयोजित

राजसमन्द @राजसमन्द टाइम्स। भिक्षु विहार, केलवा में युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण के आज्ञानुवर्ती शासन श्री मुनि रविंद्र कुमार एवं मुनि अतुल कुमार के सानिध्य में एकासन (101) तप अनुष्ठान हुए। जिसमें 70 एकासन सामूहिक एवं 31 एकासन नरेन्द्र बोहरा ने किए।

इस दौरान मुनि अतुल कुमार  ने “उपसर्गहर स्तोत्र” अनुष्ठान करवाया। तत्पश्चात् मुनि ने अपने संबोधन में कहा सोने सी चमकती किस्मत को पाने में तप का बहुत बड़ा रोल है। तपस्या ईश्वर को प्रसन्न करने या आत्मबोध के लिए नहीं की जाती बल्कि मन को दृढ़ और स्थिर बनाने के लिए की जाती है। बहुत अधिक तप करके शरीर पर अत्याचार करना उचित नहीं पर थोड़ी तपस्या आवश्यक है। विरोधी तत्वों को सहना तपस्या है। समभाव में रहना, जो भी आए उसे सहना-गरम ठंडा, अच्छा बुरा प्रशंसा या आलोचना, तपस्या है। जितनी तपस्या हमारे जीवन में है, हम उतने ही दृढ़ और स्थिर बनते हैं। वैसे तो मानव जीवन तपस्या से कम नहीं। पग-पग पर कठिनाइयां हैं, अनेक झंझावातों से जूझकर आगे चलना होता है, बढ़ना होता है। विकट समस्याएं दावानल की तरह घेरे रहती हैं। आवश्यकताएं असुर दल की भांति रोड़े अटकाती हैं,बाधाएं उत्पन्न करती हैं। जो भी इसको पार कर गया उसकी तपस्या सफल हो गई, सुखी जीवन का वरदान मिल गया। तप से अनेकों रोगों का निवारण किया जा सकता है। तप धर्म को फैलाता है, दुख का नाश करता है, अस्मिता देता है, और जीवन से जुड़े अंधकार को दूर करता है। तपस्या के माध्यम से कोई ऐसा कार्य नहीं जो ना किया जा सके। मन को सांसारिक झंझट से निकालकर तप से जोड़ें। मुनि रविंद्र कुमार ने मंगल पाठ सुनाया। तप अनुष्ठान में तेरापंथ सभा, महिला मंडल एवं युवक परिषद सहित अच्छी संख्या में लोग उपस्थित रहे।