वर्तमान युग में गणित की उपयोगिता तथा प्रौद्योगिकी में बढ़ते गणित के प्रभाव को देखते हुए डॉ राकेशवर पुरोहित एवं उनके शोध विद्यार्थी खेमराज मीणा एवं ऋषिकेश पालीवाल ने जन-जन तक गणित की महिमा एवं गाथा को पहुँचाने का प्रयास कर रहे है |
गणित का ज्ञान सभी को अपने मन में, अपने विचारों और अपने कार्यों में निहित करना चाहिए, क्योंकि गणित सभी विषयों का सार है और प्रत्येक व्यक्ति को सभी विषयों का अध्ययन करने का समय नहीं मिलता है। इस प्रकार, जो गणित का अध्ययन करता है, वो लगभग सभी विषयों का अध्ययन करता है। जो व्यक्ति गणित के ज्ञान को जितना हो सके प्रेम से समझाता या पढ़ाता है, वह हमेशा स्थिरचित व खुश रहता है और उसका जीवन धन्य हो जाता है।
किसी व्यक्ति द्वारा गणित पढ़ना या पढ़ाना ज्ञान के साथ भगवान की पूजा करने के बराबर है।
भारतामृतसर्वस्वं विष्णोर्वक्त्राव्दिनिः सृतम् |
गीतागग्डोदकं पीत्वा पुनर्जन्म न विद्यते ||
अर्थ:
जो महाभारत का अमृतोपम सार है तथा भगवान श्रीकृष्ण के मुख से प्रकट हुआ है, उस गीतारुप गंगाजल को पी लेने पर पुनः इस संसार में जनम नहीं लेना पड़ता |
गणितीय अर्थ:
गणित का शुद्ध ज्ञान अमृत के समान गंगाजल है, जिसके अनुसरण से मनुष्य को किसी भी अन्य ज्ञान की आवश्यकता नहीं होती।
संदेश:
गणित सीखने का एकमात्र तरीका गणित का अभ्यास करना है।
लेखक:- खेमराज मीणा
(रिसर्च स्कॉलर, यू. सी. ओ. एस., एम. एल. एस. यू., उदयपुर)