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अद्वैतम आनंद रूपम अरूपम, इति विश्वास स्वरूपं!! ‘अद्वैतम आनंद रूपम अरूपम, ब्रह्मोहम ब्रह्मोहम ब्रह्म स्वरूपहम, चिदोहम चिदोहम सतचिदानंदोहम’ “मैं एकल हूं। मुझे किसी दूसरे में मत ढूंढ़ो। मैं ही कल्याणकारी रूप में हूं। मैं ही हूं जिसका कोई रूप भी नहीं है, जिसे आकार दिया जा सके। मैं ही ब्रह्म रूप में हूं। मैं…