आक्रोश की आग परिणाम तक सुलगती रहे वर्ना मुर्दों के शहर में जिंदा लाशें आती रहेगी दर्द को महसूस करना और उसको शब्दों में उकेरने से कई गुना मुश्किल है दर्द को चलचित्र में समेटना। 32 वर्ष पुराने कश्मीरी हिंदुओं के दर्दे-हक़ीक़त को जिस शिद्दत से विवेक अग्निहोत्री ने ‘द कश्मीर फाइल्स’ में समेटा है…
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