सन1672 में प्रभु श्री गोवर्धन धरण श्रीनाथजी के मेवाड़ धरा पर पधारने के पश्चात प्रभु की सुरक्षा की जिम्मेदारी महाराणा राज सिंह जी द्वारा देलवाड़ा रियासत के सामंत झाला जेत सिंह जी व कोठारिया के ठाकुर रुक्मांगद जी को सौंपी गई! यवन सेना के आक्रमण की संभावना को देखते हुए प्रभु की सेवा में एक…
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