राजसमंद। प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान एवं मातृ शिशु स्वास्थ्य एवं पोषण दिवस के अवसर पर जिला प्रजनन एवं शिशु स्वास्थ्य अधिकारी एवं कार्यवाहक सीएमएचओ डॉ सुरेश मीणा ने खमनोर ब्लॉक के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र नेड़च एवं आंगनबाड़ी केन्द्र मांडक का गुड़ा का औचक निरीक्षण किया तथा व्यवस्थाओं को लेकर चिकित्सा अधिकारी एवं स्वास्थ्य कार्यकर्ताओ को आवश्यक दिशा निर्देश दिये।
प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र नेड़च में उन्होंने लेबर रूम, टीकाकरण कक्ष अन्य आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर विस्तार से निरीक्षण किया तथा प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व दिवस को संस्थान पर ही आयोजित करने के लिये निर्देशित किया जिससे क्षैत्र की गर्भवती महिलाओं को देलवाड़ा सीएचसी पर नही जाना पडे़ तथा स्थानीय स्तर पर ही सेवायें उपलब्ध हो जाये।
उन्होंने स्टोर रूम का भी निरीक्षण किया तथा संस्थान पर कार्य में नहीं आ रही चिकित्सकीय सामग्री को सीएचसी देलवाड़ा भिजवाने के लिये निर्देशित किया जिससे सामग्री का सदुपयोग हो सके। उन्होंने इसके लिये जिला औषधी भण्डार के प्रभारी अधिकारी से मौके से चर्चा कर वस्तुस्थिती से अवगत कराया तथा तत्काल निस्तारण के लिये निर्देशित किया। उन्होंने लेबर रूम को भी प्रोटोकॉल के अनुसार व्यवस्थित करने के लिये चिकित्सा अधिकारी एवं कार्मिको को निर्देशित किया।
उन्होंने केसुली उपस्वास्थ्य केन्द्र के मांडक का गुड़ा आंगनबाड़ी का भी औचक निरीक्षण किया जहां स्वास्थ्य कार्यकर्ता, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं आशा उपस्थित थी तथा गर्भवती महिलाओं, बच्चो एवं किशोर – किशोरीयों को दी जा रही सेवाओं का अवलोकन किया। उन्होंने स्वास्थ्य कार्यकर्ता को मातृ, शिशु स्वास्थ्य एवं पोषण दिवस को और भी अधिक सुनियोजित तरीके से आयोजित करने के लिये निर्देशित किया तथा आशा को आयोजन के दो दिन पूर्व से तैयारी करने के लिये निर्देशित किया जिससे गांव में निवासरत सभी लाभार्थीयो को सूचना समय पर मिल सके और अधिक संख्या में लाभार्थी सेवाओं का लाभ ले सके।
उल्लेखनिय है कि प्रत्येक माह के 9 वें दिन प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान का आयोजन सभी राजकीय चिकित्सा संस्थानो में किया जाता है जिससे गर्भवती महिलाओं को गुणवत्तापूर्ण प्रसव पूर्व सेवायें प्रदान की जाती है तथा चिकित्सा अधिकारी द्वारा जांच एवं परामर्श दिया जाता है। जिले भर में 1276 गर्भवती महिलाओं की अभियान के तहत प्रसव पूर्व जांच की गई। वहीं प्रत्येक गुरूवार को मातृ शिशु स्वास्थ्य एवं पोषण दिवस का आयोजन आंगनबाड़ी केंद्रों पर किया जाता है। जहां गर्भवती महिलाओं, धात्री माताओं, शिशुओं, बच्चो एवं किशोर – किशोरीयों को गांव में ही स्वास्थ्य कार्यकर्ता के माध्यम से स्वास्थ्य सेवायें प्रदान की जाती है।
प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र नेड़च में उन्होंने लेबर रूम, टीकाकरण कक्ष अन्य आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर विस्तार से निरीक्षण किया तथा प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व दिवस को संस्थान पर ही आयोजित करने के लिये निर्देशित किया जिससे क्षैत्र की गर्भवती महिलाओं को देलवाड़ा सीएचसी पर नही जाना पडे़ तथा स्थानीय स्तर पर ही सेवायें उपलब्ध हो जाये।
उन्होंने स्टोर रूम का भी निरीक्षण किया तथा संस्थान पर कार्य में नहीं आ रही चिकित्सकीय सामग्री को सीएचसी देलवाड़ा भिजवाने के लिये निर्देशित किया जिससे सामग्री का सदुपयोग हो सके। उन्होंने इसके लिये जिला औषधी भण्डार के प्रभारी अधिकारी से मौके से चर्चा कर वस्तुस्थिती से अवगत कराया तथा तत्काल निस्तारण के लिये निर्देशित किया। उन्होंने लेबर रूम को भी प्रोटोकॉल के अनुसार व्यवस्थित करने के लिये चिकित्सा अधिकारी एवं कार्मिको को निर्देशित किया।
उन्होंने केसुली उपस्वास्थ्य केन्द्र के मांडक का गुड़ा आंगनबाड़ी का भी औचक निरीक्षण किया जहां स्वास्थ्य कार्यकर्ता, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं आशा उपस्थित थी तथा गर्भवती महिलाओं, बच्चो एवं किशोर – किशोरीयों को दी जा रही सेवाओं का अवलोकन किया। उन्होंने स्वास्थ्य कार्यकर्ता को मातृ, शिशु स्वास्थ्य एवं पोषण दिवस को और भी अधिक सुनियोजित तरीके से आयोजित करने के लिये निर्देशित किया तथा आशा को आयोजन के दो दिन पूर्व से तैयारी करने के लिये निर्देशित किया जिससे गांव में निवासरत सभी लाभार्थीयो को सूचना समय पर मिल सके और अधिक संख्या में लाभार्थी सेवाओं का लाभ ले सके।
उल्लेखनिय है कि प्रत्येक माह के 9 वें दिन प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान का आयोजन सभी राजकीय चिकित्सा संस्थानो में किया जाता है जिससे गर्भवती महिलाओं को गुणवत्तापूर्ण प्रसव पूर्व सेवायें प्रदान की जाती है तथा चिकित्सा अधिकारी द्वारा जांच एवं परामर्श दिया जाता है। जिले भर में 1276 गर्भवती महिलाओं की अभियान के तहत प्रसव पूर्व जांच की गई। वहीं प्रत्येक गुरूवार को मातृ शिशु स्वास्थ्य एवं पोषण दिवस का आयोजन आंगनबाड़ी केंद्रों पर किया जाता है। जहां गर्भवती महिलाओं, धात्री माताओं, शिशुओं, बच्चो एवं किशोर – किशोरीयों को गांव में ही स्वास्थ्य कार्यकर्ता के माध्यम से स्वास्थ्य सेवायें प्रदान की जाती है।