मेवाड़ के चारधाम में प्रमुख पीठ श्रीचारभुजा के द्वार भाद्रपद शुक्ल पक्ष एकादशी सोमवार को भगवान चारभुजा गढ़बोर में जलझुलनी एकादशी पर लगने वाले तीन दिवसीय लक्खी मेले के अंतिम दिन प्रभु के बाल स्वरूप को सोने की पालकी में बिराजित कर दुधतलाई ले जाया गया जहां पर हजारों सेवकों व श्रद्धालुओं की उपस्थिति में शाही स्नान करवाया गया।
श्रृद्धालुओं ने प्रभु के विगृह स्नान के अलोकिक दृश्य को अपलक निगाहों से निहारा। प्रभु की 11:30 बजे भोग आरती के बाद भगवान की बाल प्रतिमा की शौभा यात्रा भगवान के गर्भगृह से सोने की पालकी मे बिराज मान करके निकली। ठीक 12:20 बजे सोने की पालकी निज मंदिर से स्वर्ग सी सौभा मृंदग शहनाई, बैंण्ड बाजों की मधुर ध्वनी के साथ गणी खम्मा के जयकारों के साथ मंदिर प्रांगण में आई। शोभायात्रा के साथ मेवाड़ी वेशभुषा मेवाड़ी पाग, धोती कुर्ते पहने चल रहे पुजारियों के हाथ में ढाल, तलवार, गोठे, सहित नाना प्रकार के स्वर्ण व रजत जडि़त धातु से निर्मित नाना प्रकार के अस्त्र शस्त्र सहित मोर पंखी लिए नृत्य किए चल रहे थे। प्रभु की एक जलक पाने के लिए मंदिर चौक की छतें व पाण्डाल लबालब भरा हुआ था। जिधर देखो उधर ही श्रृद्धालु नजर आ रहे थे। इस दौरान भक्त जनो व श्रृद्धालुओं ने खूब अबिर गुलाल उडाई। साथ में श्रृद्धालुओं ने जगह-जगह प्रभु के वैवाण पर पुष्प वर्षा कर स्वागत किया। शोभा यात्रा के आगे गजराज, ऊंट पर नंगार खाना का संचालन, घोड़े नाचते हुए चल रहे थे। प्रभु के निशाण, सुरज-चंद का प्रतिक व चांदी की पालकी पिछे-पिछे चल रही थी। मेले में राजस्थान समेत मध्यप्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र सहित अन्य कई राज्यों से हजारों दर्शनार्थी दर्शन करने पैदल, साइकिलों, मोटरसाइकिलों एवं चौपहिया वाहन लेकर आते हैं। जलझूलनी मेला एकादशी को दिन लगता हैं। दर्शन करने वाले दर्शनार्थी कई दिन पहले आकर रहने की व्यवस्था चारभुजा में कर लेते हैं। सोमवार को इस अवसर पर लोगों की श्रृद्धा देखते ही बन रही थी, पूरा नगर धर्ममय लग रहा था। दर्शनार्थी चारभुजा नाथ की जय, छौगाला छैल की जय, प्रभु आपकी जय हो…., चारभुजा गढ़बोर नाथ-छोगाला थारी…., जय हो का उद्घोष करते हुए झूम रहे थे। भगवान की सेवा करने वाले स्थानीय गुर्जर सेवक, विभिन्न संगठनों के कार्यकर्ता एवं पुलिस प्रशासन व्यवस्थाओं मेें पूरी तरह मुस्तैद था फिर भी दर्शनार्थियों की भारी भीड़ के चलते धक्कामुक्की हो रही थी। जलझुलनी एकादशी पर सोमवार को गुलाल-अबीर से रंगी चारभुजानाथ की नगरी में सुबह से ही आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। धर्मनगरी की सरहदें श्रद्धा के रंग में रंगी भक्तों की टोलियों के जयकारों से गूंज उठी। मंदिर में दर्शनों के लिए अलसुबह मंगला की झांकी के समय से ही दर्शनार्थियों का हुजूम उमड़ पड़ा। दोपहर 12 बजे के करीब मंदिर से ठाकुरजी का सोने का बेवाण शाही लवाजमे के साथ निकला तो गुलाल-अबीर की घनघोर वर्षा से सराबोर श्रद्धालुओं ने तालियों की गडगड़़ाहट, प्रभु आपकी जय हो, छोगाला छैल की जय हो…, जैसे जयकारों के साथ पुष्प वर्षा करते हुए अगवानी की। जैसे ही सोने के बैवाण में बिराजित भगवान की पालकी को मंदिर से बाहर लाया गया लोग चारभुजा नाथ की जय-जयकार करने लगे। मंदिर से दूध तलाई तक गुलाल अबीर से रंगी राह पर भक्ति के रंग में रंगे श्रद्धालु जयकारे लगाते आगे बढ़ रहे थे। इस मनोरथ के दर्शन के लिए लोग घंटों पहले ही छतों, दीवारों, मकानों के छज्जों एवं पेड़ों पर जा बैठे और स्नानयात्रा दूधतलाई की ओर बढने के बाद ही वे भी नीचे उतरे। इसके साथ ही हाथी घोड़ा पालकी जय कन्हैया लाल की, के जयकारों के साथ बेवाण विभिन्न मार्गो से होते हुए दूध तलाई की ओर बढ़ गया। इस दौरान रास्ते में रामी तलाई के पास छतरी पर ठाकुरजी को अल्पविश्राम भी करवाया गया, जिसके बाद ठाकुरजी पुन: दूधतलाई की ओर स्नान मनोरथ के लिए अग्रसर हुए। इस बीच गुलाल-अबीर से खेलने की अनूठी परंपरा के चलते मेले में पहुंचा हर शख्स पूरी तरह से लाल रंग में इस तरह से सराबोर हो गया कि उसे अपने अपने साथी भी अपने साथी को भी नहीं पहचान पा रहे थे। साथ ही ठाकुरजी की यात्रा जहां-जहां से गुजरी वह गली, नुक्कड़ आदि सभी जगह गुलाल से रंग गई। यहां तक कि नालियों का पानी भी लाल रंग का हो गया। शाही स्नानयात्रा ठीक 2 बजे दूध तलाई पहुंची, जहां तलाई में खड़े श्रद्धालुओं ने अपने हाथ से तलाई के पानी की बौछार कर प्रभु के विग्रह को स्नान कराया। इसके बाद दूध तलाई के दूसरे किनारे पर ठाकुरजी को अल्पविश्राम के दौरान अफीम (अमल) का भोग धराने की रस्म निभाई गई। यहां चारभुजानाथ को शुद्ध जल से स्नान कराया गया। दूध तलाई की परिक्रमा करते हुए ठाकुरजी का बेवाण विभिन्न मार्गो से होकर शाम 6 बजे मंदिर पहुंचा। बेवाण के आगे गुर्जर समुदाय के पुजारियों के साथ श्रद्धालु थाली-मादल, ढोल नगाड़ें के धूम धड़ाके के साथ थिरकते चल रहे थे।
धरती और आसमान लाल रंग से हुए तर
जब प्रभु श्रीचारभुजा को स्नान के लिए लाया गया उस समय ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो प्रभु साक्षात् रूप में धरती पर अवतरित हो गए हों। इस दौरान पूरी धरती और आसमान लाल रंग से तर हो गए। दूध तलाई के चारों तरफ हजारों की संख्या में मौजूद श्रद्धालु चारभुजानाथ गढ़बोर में महाकुम्भ के साक्षी बनने को आतुर थे। हजारों-लाखों श्रृद्धालुओं की उपस्थिति में भगवान चारभुजा नाथ को पंचामृत एवं जल से पंडितों-पुजारियों द्वारा पारंपरिक रीति-रिवाजों से स्नान कराया गया। उस समय ऐसा लग रहा था जैसे चारभुजा कस्बे में श्रृद्धा का सागर हिलोरें ले रहा हो। चारों ओर आसमान तथा धरती पर गुलाल ही गुलाल एवं लोगों के सिर ही सिर दिख रहे थे। स्नान के पश्चात पुन: भगवान को ठाट-बाट से मंदिर में लाया गया और दर्शनों के लिए विशेष श्रृंगार धराया गया। इस तरह चारभुजानाथ को स्नान कराने की सैकड़ों सालों से चल रही परम्परा का निर्वाहन किया।
विधायक राठौड़ व माहेश्वरी ने किए दर्शन
पूर्व उच्च शिक्षा मंत्री व राजसमंद विधायक किरण माहेश्वरी, कुंभलगढ़ विधायक सुरेन्द्रसिंह राठौड़ ने भगवान चारभुजानाथ के दर्शन किए तथा प्रदेश की खुशहाली के लिए प्रार्थना की। इसके अलावा राजसमंद सभापति सुरेश पालीवाल, भाजपा नेता सत्यप्रकाश काबरा, जिला कलक्टर अरविंदकुमार पोसवाल, एसपी भुवनभुषण यादव, सीईओ निमिषा गुप्ता, एएसपी राजेश गुप्ता सहित कई जन प्रतिनिधियों एवं अधिकारियों ने भी प्रभु श्री चारभुजानाथ के दर्शन किए और मेले का आनंद लिया।
ठाकुर जी ने दुध तलाई में भरे पानी से किया स्नान
जल झूलनी एकादशी पर ठाकुरजी को रजत पालकी में बिराजमान कर सरोवर दुधतलाई पर स्नान को ले जाया गया। दूध तलाई में भरे पानी से मंदिर सेवकों व श्रद्धालुओं ने जल की छीडक़ाव कर प्रभु को स्नान करवाया। भक्तगण पुजारी ठाकुरजी की पालकी के आगे मेवाड़ी वेशभूषा में छड़ी, गोटे तथा नानाप्रकार के शस्त्रो के साथ बेण्ड बाजो की घून पर नाचते गाते चल रहे थे ।
मंडलों ने की व्यवस्थाएं
वैसे तो प्रशासनिक दृष्टि से मेले को लेकर सभी तैयारियां की गई थीं। इसके बावजूद धार्मिक लोगों ने अपनी तरफ से श्रृद्धालुओं के लिए जलपान एवं चाय-नाश्ते-पानी, फलाहारी अल्पाहार की व्यवस्था की गई थी। रामी डाकोतियां दरवाजे से लगाकर दुध तलाई तक पालीवाल, माहेश्वरी समाज, मुंगाना संत्संग मण्डल, सेवा मण्डल इन्दौर द्वारा फलहारी नमकीन, खिचडी, केले, सेव, सुखे मेवे व अन्य खाद्य सामग्रियों व पेय पदार्थों के वितरण सहित पेयजल के लिए स्टाले लगाई गई। जहां पर श्रद्धालुओं की लगी भीड़ ने प्रसाद का लुप्त उठाया।
प्रशासनिक व्यवस्था चाक-चौबंद
हजारों-लाखों श्रृद्धालुओं के हर साल आने के चलते प्रशासनिक स्तर पर व्यापक तैयारियां की गईं। जिसके चलते जिला कलक्टर अरविंदकुमार पोसवाल, सीईओ निमिषा गुप्ता, कुंभलगढ़ एसडीएम परसाराम टांक, पुलिस उपाधीक्षक कुंभलगढ़ नरपतसिंह, समुंदरसिंह, रोशन पटेल, तहसीलदार पर्वतसिंह राठौड़, विकास अधिकारी नवलराम चौधरी, सरपंच नाथुलाल गुर्जर, सचीव मनोहर मीणा, थाना प्रभारी कुंभलगढ़ शैतानसिंह नाथावत, भरतसिंह राजपुरोहित, लक्ष्मणसिंह, सुनिल कुमार, यातायात प्रभारी रामविलास मीणा सहित सैकड़ों की संख्या में पुलिस जाप्ता तैनात था।
खतरे पर भारी श्रद्धा
शाही बेवाण में बिराजित ठाकुरजी की एक झलक पाने के लिए श्रद्धालु उत्साहित रहे। रेवाड़ी के आगे पुजारी अपने हाथों में छड़ी, गोटा, मयूरपंख, भाला, तलवार, बंदूक सहित सोने चांदी के आयुध लिए चल रहे थे। मेवाड़ी पगड़ी, गले में स्वर्णहार श्वेत धोती-कुर्ता पहने पुजारी थिरकते हुए आगे बढ़ रहे थे। पीछे भगवान की सोने की पालकी थी, जो पुजारियों के सुरक्षा घेरे में थी। ज्यों ही बेवाण नक्कार खाना चौक पहुंचा, तो चारों ओर से रंगबिरंगी गुलाल-अबीर एवं फूलों की बौछार हुई और बेवाण को छूने के लिए भक्तों में होड़ सी मच गई। इस दौरान उड़ रही गुलाल-अबीर की परवाह किए बगैर हजारों आंखें येनकेन ठाकुरजी के दर्शन को लालायित दिखाई पड़ी। इससे हर शख्स गुलाल में रंग गया। सवारी होली चौक से होते हुए रामी तलाई स्थित छतरी पर पहुंची तो वहां हरजस का गान किया गया।
विद्युत कटौती से रही समस्या
बिजली विभाग की अनदेखी से आमजन को परेशान का सामना करना पड़ा, वहीं पेयजल की आपूर्ति भी नियमित नहीं होने से भी श्रद्धालुओं सहित आमजन परेशान हुए। जबकि गत दिनों आयोजित हुई मेला तैयारी की बैठक में निर्णय लिया गया कि मेले के दौरान 24 घंटे बिजली आपूर्ति रहेगी तथा मेले के तिन दिनो तक निरन्तर दोनो समय जलापूर्ति नियमित रहेगी। मगर ऐसा नहीं हुआ तथा तथा दोनों विभागो की लापरवाही के चलते आमजन परेशान रहे, जिससे ग्रामिणों मे रोष व्याप्त था।
स्नान घर व शौचालय का उपयोग नहीं
मेले के दौरान दुधतलाई पर बनाए गए पुरूष व महिला स्नान घर पर ताले लटकते रहे तथा जबकि इसका उपयोग मेले के समय में ही होने थे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ, शौचालयों के ताले लटके मिले जिसके चलते मेलार्थियों व श्रद्धालुओं ने स्वच्छ भारत मिशन की अवहेलना करते हुए खुले में शौच करने को मजबूर होना पड़ा। जिससे आम रास्ते व गली मोहल्लों गन्दगी का अंबार लगा रहा।
जिले भर में मनाई जलझूलनी
जलझूलनी के अवसर पर नगर सहित जिलेभर में कई स्थानों पर विभिन्न देवालयों पर झूलनी का आयोजन धूमधाम से किया गया। जिला मुख्यालय पर चारभुजा नाथ को शोभायात्रा के रूप में नौचोकी पाल ले जाकर स्नान कराया गया। बस स्टेण्ड पर स्थित चारभुजा नाथ को बेवाण में बिठाकर शोभायात्रा रवाना हुई। शोभायात्रा में सैकड़ों धर्म प्रेमी महिला पुरूष साथ-साथ चल रहे थे। जैसे ही शोभायात्रा सदर बाजार स्थित चारभुजा बड़ा मंदिर पहुंची मंदिर में बिराजित चारभुजा नाथ को भी बैवाण में विराजमान करा बाहर लाया गया। वहां से यात्रा आगे बढ़ी तो पुराना पोस्ट ऑफिस से मालीवाड़ा चारभुजा नाथ का मिलन हुआ। आगे बढऩे पर सिलावट वाड़ी में एक ओर मंदिर से चारभुजा नाथ जी सैकड़ों महिला पुरूष के साथ शोभायात्रा में मिल गये। शोभायात्रा में धर्म प्रेमी चारभुजा नाथ की जय छोगाला छेल की जय के नारे लगा रहे थे। धीरे धीरे शोभायात्रा आगे बढ़ी। गणेश चौक नौचोकी रोड़ पर शोभायात्रा के पहुंचते ही रेगर मौहल्ला, कलालवाटी से रेवाडिय़ों के मिलने से अलग ही नजारा देखने को मिल रहा था। सभी रेवाडिय़ों को नौचोकी पाल पर ले जाकर विधि-विधान से पूजा अर्चना कर स्नान कराया गया। स्नान के पश्चात सभी देव प्रतिमाए शोभायात्रा के रूप में पुन: अपने-अपने मंदिर में पहुंचकर विराजित हुई आरती करके प्रसाद वितरण किया गया।