श्रद्धा रखें,जन्म कुंडली में राजयोग बनने पर गालियां देने वाले भी तालियां बजाते हैं-मुनि अतुल


 “श्री उपसर्गहर स्तोत्र अनुष्ठान”का हुआ आयोजन 

राजसमन्द टाइम्स। केलवा में युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण के आज्ञानुवर्ती शासन श्री मुनि रविंद्र कुमार एवं मुनि अतुल कुमार के सानिध्य में श्री उपसर्गहर स्तोत्र का भव्य अनुष्ठान संपन्न हुआ । मुनि श्री अतुल कुमार ने कहा कि जिसके मन में न्याय-नीति है उसे राहु, केतु, शनि भी कभी परेशान नहीं कर सकते। क्योंकि ये सभी न्याय के देवता हैं। जो इंसान दिल में श्रद्धा और विश्वास के साथ आगे बढ़ता है समय उसे बेहतर नहीं बेहतरीन बना देता है। धीरे-धीरे उसकी जन्म कुंडली में राजयोग बनने लगता है।और जिसकी जन्म कुंडली में राजयोग बनता है तो गालियां देने वाले भी तालियां बजाने लगते हैं। जूता मारने वाले भी जूता चाटने लगते हैं। उस व्यक्ति को जीवन में तरक्की और मान सम्मान प्राप्त होता है। ईश्वर में श्रद्धा असंभव को संभव बना देती है।श्रद्धा का मतलब प्रांगण में बैठ जाना और प्रभु गुणगान कर लेना नहीं है। श्रद्धा का अर्थ है मन संदेह रहित हो जाना।श्रद्धा यह गेहरा विश्वास होता है। प्रत्येक व्यक्ति के मन में एक समय दो ही चीज होती हैं या तो श्रद्धा, नहीं तो शंका। जिस पर आपका विश्वास है वही आपके लिए श्रद्धा के योग्य है। यहां विश्वास खत्म, वहां श्रद्धा समाप्त। मुनि श्री ने कहा सर्कस में आपने देखा होगा तीन सौ फीट की हाइट पर एक लड़की को हवा में उछाला जाता है। एक व्यक्ति उसे उछालता है और दूसरा व्यक्ति उसे पकड़ लेता है। मान लीजिए पकड़ने वाले व्यक्ति के मन में कीड़ा आ जाए कि नहीं पकड़ना। तो उस समय क्या होगा ? लड़की का जीवन समाप्त हो जाएगा। लेकिन अभी तक के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ। क्योंकि लड़की के मन में पूरी श्रद्धा और विश्वास है की एक छोड़ेगा तो दूसरा पकड़ेगा। इस दुनिया की सबसे कीमती चीज़ है भरोसा। कमाने में वर्षों लग सकते हैं और खोने में केवल कुछ पल। मनुष्य के रूप में हम एक दूसरे के साथ जुड़ने और भरोसा करने के लिए ही बने हैं। श्रद्धा और विश्वास ही रिश्ते की आधारशिला है और इसे बनाए रखना ही जीवन का सार है। सुंदर का अर्थ रंग से नहीं होता बल्कि एक दूसरे के प्रति भरोसेमंद बनकर रहना है । आजकल ज्यादातर देखने में आता है कि पत्नी का कहीं और मैरिटल अफेयर चल रहा है और पति कहीं और किसी के साथ है। भले वो महीने का लाखों रुपया कमाते हों परंतु ऐसे लोग गंदगी में जी रहे हैं। एक दूसरे के प्रति फेथफुल रहना ही सुंदरता है। बच्चे, माता-पिता को धोखा दे रहे हैं,पति-पत्नी आपस में विश्वास खो रहे हैं ,और सगे-संबंधी एक दूसरे के साथ चीटिंग करते हैं ये सुंदरता नहीं है। मुनि श्री रविंद्र कुमार ने मंगल पाठ सुनाया। कार्यक्रम में काफी अच्छी संख्या में लोग उपस्थित रहे।