राजसमन्द@RajsamandTimes। आचार्य महाश्रमण के आज्ञानुवर्ती शासन श्री मुनि रविंद्र कुमार एवं मुनि अतुल कुमार महाश्रमण विहार चारभुजा में विराज रहे हैं। रात्रिकालीन प्रवचन माला में मुनि अतुल कुमार ने कहा कभी भी किसी का हक नहीं छीनें। किसी को कमज़ोर समझ कर उस पर अत्याचार ना करें। क्योंकि भले ही वह कमज़ोर हो लेकिन उसने ईश्वर से सहायता मांगी और अगर ईश्वर उसके साथ हो गए तो उसकी जीत और बुरे कर्म करने वाले की हार निश्चित हो जाती है। दुनिया में बहुत से लोग दूसरों का हक छीनकर सुख भोगते हुए प्रतीत होते हैं। किंतु क्या वास्तव में वे सुखी होते हैं? क्या उनके हृदय में यह खटका नहीं लगा रहता की अंततोगत्वा उनको अपने पापों का दंड भुगतना ही है। दूसरों का हक छीन कर सुख भोगना सिर्फ हमारी निरी एक कल्पना, सपना अथवा मन का छलावा होगा जो सिर्फ क्षणिक हो सकता है, बाद में सिर्फ और सिर्फ दुख, परेशानियां, मानसिक व्याधियां ही पीछे छोड़कर जाएगा। इसलिए दुनिया में बेवजह किसी की हाय और हक का मत लेना क्योंकि यहां एक-एक चीज़ की कीमत चुकानी पड़ती है।
मन तो सभी का कर्म करते वक्त अच्छे-बुरे का बोध ज़रूर करवाता है पर हम अनसुना कर देते हैं। क्योंकि मन ज्यादा मजबूती से लालच और बुराई की तरफ खींच लेता है। सब कुछ कर्म के सिद्धांत के आधार पर ही चल रहा है। मनुष्य चाहे कितना भी, कुछ भी कह ले, होता ऐसा ही है, की जिसने गलत काम किया उसे आज नहीं तो कल यां एक न एक समय तो उसका परिणाम भुगतना ही पड़ेगा। परंतु उस समय इंसान को यह क्यों समझ में नहीं आता। तो यह समझना पड़ेगा की मनुष्य जब कुछ ग़लत कर्म कर रहा होता है तो वह यां तो किसी मजबूरी के कारण कर रहा होता है या फिर किसी आदत के कारण। अधिकतर इंसान गलत कर्म करते हुए इतना खो जाते हैं कि बार-बार, वही बुरे कर्म किए चले जाते हैं और उन्हें खबर तक नहीं होती। जैसे कोई इंसान अत्यधिक क्रोध में भर जाता है तो अधिकतर लोगों को यह खबर ही नहीं होती है कि वह क्रोध में क्या कर गया। असल में थोड़ा गहराई से जानने की कोशिश करें की जिसके साथ बुरा हुआ उसके साथ बुरा क्यों हुआ ? क्योंकि साधारणतया: ब्रह्मांड में ऐसा हो नहीं सकता की किसी के ऊपर बिना बजह ही कोई प्राब्लम आ जाए।। कुदरत के फैसले पर संदेह न करें। अगर आज सज़ा मिल रही है तो गुनाह भी कभी ना कभी हुआ होगा।मुनि रविंद्र कुमार ने मंगल पाठ सुनाया। प्रवचन में काफी अच्छी संख्या में लोग उपस्थित रहे।