खमनोर। राज्य सरकार द्वारा खमनोर मुख्यालय पर स्वीकृत राजकीय महाविद्यालय एवं मॉडल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का भूमिपूजन आनन फानन में मुख्यालय के बजाय क्रमशः सेमा के मलीदा व मोलेला गाँव में होने के बाद से ही खमनोर कस्बे में वैचारिक असंतोष का माहौल बनता देख भूमिपूजन के आठ दिन बाद ग्रामीणों की चौपाल बुलाई गई व मुख्यालय पर स्वीकृत भवनों को यथास्थान बनाने की मांग मुखर होने लगी।
तथाकथित रूप से सत्तारूढ़ दल के निर्णय के खिलाफ विपक्ष द्वारा दो बार ग्रामीणों को एकत्रित कर ग्रामहित में आंदोलन की चेतावनी दी गई थी। ग्रामीणों का आरोप है कि वर्तमान जनप्रतिनिधियों द्वारा जनता को गुमराह कर अपनी अपनी राजनैतिक स्वार्थपूर्ति करते हुए करोड़ों के विकास कार्य मुख्यालय से दूर स्वीकृति हासिल करने में मिलीभगत का अंदेशा है। इन्ही सब घटनाक्रमों के चलते शुक्रवार रात्रि पुनः पंचायत समिति प्रधान व ग्राम पटेल के नेतृत्व में स्थानीय जनता एकत्रित हो एक स्वर में मॉडल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का निर्माण मोलेला की बजाय खमनोर में कराने की मांग दोहराने लगी। प्रधान द्वारा जमीन की अनुपलब्धता बताए जाने पर नवीन मोदी द्वारा प्रोत्साहित दानदाताओं ने वर्तमान चिकित्सालय के नजदीक ही उपयुक्त जमीन दान देने की घोषणा कर भूमि की कमी के बहाने चल रही सारी चर्चाओं पर विराम लगा दिया। ग्राम पटेल डालू सिंह राजपूत द्वारा दानदाताओं का उपरना ओढ़ा कर स्वागत किया गया।
ग्राम चौपाल पर निर्णय लिया गया कि एक प्रतिनिधिमंडल स्थानीय विधायक एवं विधानसभा अध्यक्ष डॉ.सी.पी.जोशी से मिलकर मामले से अवगत कराते हुए उपलब्ध जमीन के आधार पर निर्माण स्थल बदलने की स्वीकृति हासिल करने के प्रयास करेगा। दानदाता को पंचायत द्वारा अन्यत्र भूमि आवंटित करने पर सहमति जताई गई।
राजकीय महाविद्यालय हेतु भूमि चयन को लेकर चर्चा आरम्भ होते ही जनप्रतिनिधियों ने चौपाल छोड़ पलायन कर दिया, जिस पर युवाओं में आक्रोश पनपने लगा।
युवाओं ने एकस्वर में महाविद्यालय भी मुख्यालय पर बनाने की मांग दोहराई। ग्रामहित के मुद्दे पर मौन धारण कर जाजम छोड़ने वाले स्थानीय जनप्रतिनिधियों को कोसते हुए युवाओं ने आंदोलन की चेतावनी जारी कर दी। जय मेवाड़ नवयुवक मंडल अध्यक्ष द्वारा ग्राम चौपाल में युवाओं का आव्हान कर अनिश्चितकालीन अनशन की घोषणा की है।
ऐसे में अब देखने वाली बात यह है कि क्या खमनोर की जनता मुख्यालय पर स्वीकृत विकास कार्यों को मुख्यालय पर करा पाने में सफल होती है या राजनैतिक चालबाजियों के आगे असफल ??