राजसमंद। बिन मां के बकरी के दूध पर जिंदा अत्यधिक गंभीर कुपोषण से जीवन के लिये जुझ रही बच्ची को अनन्ता चिकित्सालय में चिरंजीवी योजना की बदौलत स्वस्थ किया गया है।
बच्ची के पिता ब्लॉक राजसमंद के गांव मोखमपुरा निवासी कैलाश गमेती ने बताया की गत 6 जुलाई को प्रसव पीड़ा होने पर प्रसुता को जिला चिकित्सालय में भर्ती करवाया गया जहां बच्ची का जन्म हुआ तथा बच्ची जन्म से ही कुपोषित थी। जन्म के 26 दिन बाद मां की भी मृत्यु हो गई। जनजाती वर्ग का यह परिवार 26 दिनो से बकरी का दूध पिलाकर बच्ची को घर पर ही स्वस्थ करने में जुटा हुआ था लेकिन बच्ची की तबियत में दिन – प्रतिदिन गिरावट होती रही।
बच्ची के पिता ब्लॉक राजसमंद के गांव मोखमपुरा निवासी कैलाश गमेती ने बताया की गत 6 जुलाई को प्रसव पीड़ा होने पर प्रसुता को जिला चिकित्सालय में भर्ती करवाया गया जहां बच्ची का जन्म हुआ तथा बच्ची जन्म से ही कुपोषित थी। जन्म के 26 दिन बाद मां की भी मृत्यु हो गई। जनजाती वर्ग का यह परिवार 26 दिनो से बकरी का दूध पिलाकर बच्ची को घर पर ही स्वस्थ करने में जुटा हुआ था लेकिन बच्ची की तबियत में दिन – प्रतिदिन गिरावट होती रही।
परिजन बच्ची को लेकर चिरंजीवी योजना से सम्बद्ध अंनन्ता हॉस्पीटल पहुंचे जहां शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ कपिल श्रीमाली और डॉ गोरव गोयल ने गम्भीर नवजात शिशु चिकित्सा इकाई में भर्ती कर तत्काल इलाज शुरू किया गया। बच्ची को नियमित विशेषज्ञ उपचार एवं देखरेख में रखते हुए नियमित जांच करते रहे जिससे बच्ची का वजन बढ़ा तथा बच्ची स्वस्थ हो गई 17 अगस्त को चिकित्सा संस्थान से डिस्चार्ज किया गया। बच्ची का पूरा ईलाज चिरंजीवी योजना में बिल्कुल निःशुल्क कैशलेस हुआ।
एनआईसीयू में शिशु रोग विभागाध्यक्ष डॉ प्रसून भट्टाचार्य, कंसल्टेंट नियोनोलॉजिस्ट डॉ कपिल श्रीमाली, डॉ पंकज साहू, डॉ हिमांगी टांक, डॉ गौतम एवं नर्सिंग स्टॉफ बच्ची उपचार एवं देखरेख में निरंतर लगा रहा जिससे बच्ची की सेहत में सुधार हुआ।
बच्ची के पिता कैलाश गमेती ने बताया की परिवार में रोज कमाने व खाने की स्थिती है। ऐसे में हम इतने दिनो तक प्राईवेट हॉस्पीटल में बच्ची का उपचार करवाने की सोच भी नही सकते थे लेकिन चिरंजीवी योजना की बदौलत ही आज हमारी बच्ची के प्राण बच पाये है। बाकि हम गरीब कहां इन अस्पतालो में जाने की हिम्मत कर पाते यह चिरंजीवी योजना ही है जिससे हमे अब ईलाज की चिंता नही है।