जीवन की सफलता के लिए बापू ने दिया मंत्र ‘‘ॐ इग्नोरायः नमः’’
नाथद्वारा@राजसमन्द टाइम्स। ‘बिस्वासु ना बिस्वासु…..’ गुजराती में डाकोरजी के इस भजन के साथ शीतल संत मुरारी बापू ने जब भक्त की लाज रखने के लिए डाकोरजी के मनसुख बनकर दौड़े चले आने का दृष्टांत सुनाया तो श्रोतागण न केवल भावविभार हो गए, बल्कि दोनों हाथ उठाकर ‘विश्वास की लाज’ रखने वाले परम प्रभु की जय-जयकार करने लगे।
यहां श्रीनाथजी की नगरी नाथद्वारा में विश्व की सबसे ऊंची शिव प्रतिमा के विश्वार्पण के साथ शुरू हुई मानस विश्वास स्वरूपम रामकथा के आठवें दिवस शनिवार को शीतल संत मुरारी बापू ने डाकोरजी के भक्त मनसुख की कथा का बापू ने ऐसा भावपूर्ण वर्णन किया मानो सारी घटना श्रोताओं के सामने साक्षात प्रकट हो रही हो। बापू ने भक्त के अनन्य विश्वास के भी दर्शन भी अपनी वाणी से कराए तो भक्ति की कसौटी को खरा करने के लिए दौड़े चले आए प्रभु के दर्शन भी मानो उनकी वाणी में साकार हो उठे।
बापू ने कहा कि भक्त कभी नहीं चाहता कि उसकी भक्ति की परीक्षा के लिए ठाकुरजी को परिश्रम करना पड़े, लेकिन उसी स्थिति में ठाकुरजी भी नहीं चाहते कि उसके भक्त का उस पर स्थापित अटूट विश्वास सांसारिक सवालों में बौना हो जाए। बापू ने पूरे प्रसंग के सार को एक शब्द में पिरोया और कहा कि यही है ‘विश्वास’। ‘विश्वास’ की व्याख्या को और भी आगे बढ़ाते हुए बापू ने कहा, जिसका पूरे विश्व में वास है, वह विश्वास है। और परमप्रभु तो कण-कण में बिराजमान है। विश्वास स्वरूपम के रूप में ही रसराज की भूमि में नटराज बनकर बिराजमान हुआ है। न तो विश्वास का कोई अंत है, न ही विश्वास स्वरूपम का। यदि आप विश्वास की शरण में है तो चमत्कार आज भी हो सकते हैं।
बापू ने जीवन में अभिमान और अवसाद की स्थितियों से दूर रहने का सूत्र बताते हुए कहा कि यदि कोई भी प्रयोजन आपके प्रयासों से आपके विचारे हुए परिणाम के अनुकूल पूरा हो तो उसे ‘हरिकृपा’ मानना चाहिए, इससे मन में अभिमान नहीं होगा। वहीं, जब परिणाम अनुकूल न मिले तो इसे ‘हरि इच्छा’ मानना चाहिए, ताकि निराशा और अवसाद दूर रहे, पुनः प्रयास की प्रेरणा बनी रहे।
बापू ने यह भी कहा कि जीवन को सहज और सुलभ बनाना है तो एक विशेष मंत्र को अपनाना चाहिए और वह मंत्र है, ‘‘ॐ इग्नोरायः नमः’’। मुस्कुराते रहिये और व्यर्थ विषयों को इग्नोर करना सीखिये। उन्होने कहा कि मुस्कुराते रहने से बहुत सारी आपत्तियां स्वतः ही टल जाती हैं। किसी बात से भाग जाने से कभी कुछ हल नहीं होता, बल्कि जो भी होगा वह उस बात को जानने एवं प्रयत्न से होगा।
बापू ने बताए समाधि के पांच प्रकार
मुरारी बापू ने समाधि के पांच प्रकार बताते हुए कहा कि गुरु कृपा में आखिरी विश्वास ही समाधि है। उन्होंने बताया कि विश्वास रूपी समाधि में विघ्न भोगियों के लिए सहयोगी होता है। बापू ने बताया कि विचार भी एक प्रकार की समाधि है। विचार-शून्य होना भी एक प्रकार की समाधि है। बुद्ध पुरुष की प्रत्येक चेष्टा समाधि में ही होती है। केवल हरि के विचारों में डूब जाना हमारे जैसों के लिए एक समाधि ही है। शुभ चिंतन में डूब जाना भी समाधि के समान है। कोई कुछ भी बोले या अर्थ निकाले, लेकिन हम चुपचाप रहें, मौन रहें तो वह विवेक-समाधि कहलाती है। हास्य रस भी एक प्रकार की समाधि है, प्रसन्नता में डूब जाना और मुस्कुराना भी समाधि है। परमशक्ति के विरह में रोना और प्राप्ति पर हर्ष समाधि का एक प्रकार है।
गुरु कृपा से सरल कुछ भी नहीं
गुरु चरण में आश्रित होने पर इस लोक के साथ ही परलोक भी सुधर जाता है। जिसको विश्वास का आश्रय है, उसे किसी बात की कोई चिन्ता करने की जरूरत नहीं होती है। योगी लोग शक्ति के पाद होते है, जबकि बुद्ध पुरुष कृपा के पाद होते हैं। पुकार ऐसी करो कि हमारे बुद्ध पुरुष के अलावा किसी को भी सुनाई ना दे।
राम कथा एक सेतु कथा है
सीता स्वयंवर के प्रसंग को आगे बढ़ाते हुए मुरारी बापू ने कहा कि राम कथा एक सेतु कथा है जो सबको जोड़ती है। उन्होंने कहा कि किसी भी ग्रंथ को उसके शाब्दिक अर्थ से अधिक विविध पर्याय के रूप में समझा जाना चाहिए। ग्रंथ के शब्दों में छिपे ज्ञान को विभिन्न परिस्थितियों के अनुरूप समझाने वाला गुरु ही हो सकता है, और ऐसे ही शब्दों में छिपे पर्यायरूप सद्विचारों से ही सम्पूर्ण जगत सुसंस्कृत हो सकता है।
आठ प्रकार के विघ्न
बापू ने कहा कि समाधि की प्रक्रिया में न चाहते हुए भी विघ्न आ ही जाता है। विघ्न मुख्य रूप से आठ प्रकार के होते हैं। आलस्य, भोग, लालसा, निद्रा, बहुत ज्यादा अंधकार, विक्षेप, रसा-शून्यता भी समाधि में विघ्नता लाते हैं।
रामकथा में ये रहे मौजूद
शनिवार को आठवें दिन रामकथा के दौरान संत कृपा सनातन संस्थान के ट्रस्टी मदन पालीवाल, राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे सिन्धिया, राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सी.पी. जोशी, मंत्री प्रमोद जैन भाया, शकुंतला रावत ,मंत्रराज पालीवाल, रवीन्द्र जोशी, रूपेश व्यास, विकास पुरोहित, विष्णु दत्त, प्रकाश पुरोहित, जिला कलेक्टर, जिला पुलिस अधीक्षक आदि उपस्थित थे।
प्रभु प्रसाद में उमड़े श्रद्धालु
रामकथा के आठवें दिन कथा के पश्चात हजारों की संख्या में श्रोता प्रभु प्रसाद पाण्डाल में पहुंचे तथा प्रभु प्रसाद का लाभ उठाया। प्रभु प्रसाद के लिए आयोजक संत कृपा सनातन संस्थान की ओर से की गयी व्यवस्था कि भूरी भूरी प्रशंसा भी की।
रामकथा का विराम रविवार को
विश्वास स्वरुपम विश्वार्पण महोत्सव के मीडिया प्रभारी जयप्रकाश माली ने बताया कि राजस्थान के नाथद्वारा में विश्व की सबसे ऊंची शिव प्रतिमा विश्वास स्वरूपम के 9 दिवसीय आयोजन का रविवार को समापन हो जाएगा। इसके साथ ही श्रीनाथजी की नगरी में 29 अक्टूबर से चल रही मुरारी बापू की नौ दिवसीय अभूतपूर्व मानस विश्वास स्वरूपम रामकथा का रविवार को विराम होगा। नाथद्वारा में चल ही इस कथा में अब तक 15 लाख से अधिक श्रोताओं ने पुण्यार्जन किया है।
जो भी सुनने आ रहे हैं वे कुछ न कुछ सीख ले जा रहे हैं – वसुंधरा
पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने रामकथा श्रवण के बाद मीडिया से वक्तव्य में कहा कि यहां लाखों की संख्या में जो श्रोता आ रहे हैं, वे मुरारी बापू की वाणी से कुछ न कुछ सीख अवश्य ले जा रहे हैं। उनके सामने बैठकर कथा श्रवण करने का सौभाग्य मिला है, उनकी वाणी सुनकर एक अलौकिक आनंद की अनुभूति होती है।