देश में राजनीतिक उठापटक और आरोप प्रत्यारोप का दौर अक्सर चलता ही रहता है। कभी कोई दल छींटाकशी करता है तो कभी कोई दल।
आम आदमी तो इस दल-दल के बीच फसी उस गेंद की तरह ही है जो किधर भी जाए, लात तो उसे ही पड़नी है। शायद ही कभी अपने को इस दलदल से उभार पाए।
समय के साथ राजनीति के तौर तरीके भी बदल गए। इंटरनेट की प्रगति ने बहुत सी मुश्किलों को आसान तो बना दिया लेकिन राजनीति के मायने बदल दिए। जिन राजनीतिक दलों ने समय के अनुरूप अपने आपको ‘अपडेट’ करते हुए परिवर्तन को आत्मसात किया वो चल गए। जो इस परिवर्तन से दूर रहा, वो जनता से दूर होता गया।
कांग्रेस ने आजादी के बाद दशकों तक सत्ता का चरम सुख भोगा लेकिन अंततः उसे कायम न रख सकी। इसका कारण भी शोध का विषय है। दशकों तक पूरे देश में एक छत्र शासन करने वाली कांग्रेस पार्टी की ऐसी दुर्गति कि किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी। लेकिन जो समय के साथ अपने आप में परिवर्तन को तैयार नहीं रहता है शायद उसकी ऐसी ही महादशा होती है।
वर्षों पहले जब मोबाइल की शुरुआत हुई थी, तब नोकिया कंपनी का पूरे मोबाइल व्यवसाय पर एक छत्र अधिकार था। लेकिन जैसे-जैसे 2G, 3G, 4G और 5G ने अपने पैर पसारे, मोबाइल में भी एंड्रॉयड और उसके बाद आईफोन वर्जन आते गए। लेकिन नोकिया ने अपने आपको इस अपडेशन से दूर रखा और नतीजा यह निकला कि वो धीरे-धीरे चलन से ही बाहर हो गया और अन्य प्रतिस्पर्धी कंपनियों ने इस क्षेत्र पर अपना आधिपत्य जमा लिया।
इसी तरह का एक ज्वलंत उदाहरण बीएसएनएल कंपनी भी है। इस कंपनी का भी एक छ्त्र राज था लेकिन अपने आपको कभी भी समय पर अपडेट नहीं कर पाई। क्यों नहीं कर पाई ? इसकी चर्चा हम फिर कभी करेंगे।
जब पूरी दुनिया 5G से 6G की तरफ बढ़ रही है, बीएसएनएल आज भी 3G पर ही अटका हुआ है। परिणाम स्पष्ट है, चलन से बाहर होता जा रहा है और हो जाएगा।
कांग्रेस पार्टी में और नोकिया तथा बीएसएनएल कंपनी में भी यही एक बड़ी समानता है। भाजपा के मुक़ाबिल कांग्रेस अपने आपको अपडेट नहीं कर पाई और परिणाम आपके सामने है। कांग्रेस अधिकांश राज्यों में सिमट चुकी है या तैयारी में है।
जरूरत है कांग्रेस को आत्म मंथन के साथ स्वस्थ चिंतन की, कि आखिर कहां चूक हुई ? शायद आंतरिक लोकतंत्र इस सबकी सबसे बड़ी वजह है। एक परिवार नहीं, पूरी पार्टी इसका चिंतन करती है तो समाधान निश्चित है। दुनिया में ऐसा कोई कारण नहीं, जिसका समाधान संभव ही नहीं। बस जरूरत है, एक अदद निस्वार्थ राष्ट्र चिंतन की। जिस दिन कांग्रेस निश्चल और देश हित में चिंतन करना शुरू कर देगी उसी पल से उसका पुनरुत्थान शुरू हो जाएगा। जैसे परिवर्तन समय के साथ चलता है और साथ चलने के लिए परिवर्तन जरूरी है, वैसे ही स्वस्थ लोकतंत्र के लिए मजबूत विपक्ष को होना भी जरूरी है।
आलेख – मधुप्रकाश लड्ढा, राजसमंद।