राजसमंद। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण अध्यक्ष गिरीश शर्मा के निर्देशानुसार बुधवार को प्राधिकरण सचिव मनीष कुमार वैष्णव, देवगढ़ तालुका विधिक सेवा समिति अध्यक्ष ब्रह्मनंद शर्मा एवं भीम तालुका विधिक सेवा समिति अध्यक्ष अजीत कुड़ी की ओर से वर्चुअल रूप से ऑन लाईन विधिक जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया।
प्राधिकरण सचिव वैष्णव ने शिविर में प्राधिकरण की कार्यप्रणाली के बारे में जानकारी देते हुए नि:शुल्क विधिक सहायता योजना के बारे में जानकारी दी। साथ ही उन्होंने राजस्थान पीडि़त प्रतिकर योजना 2011 के तहत जानकारी देते हुए बताया कि हत्या, बलात्कार, एसिड एटेक, पोक्सो प्रकरणों में पीडि़त के पूर्नभरण के लिए अधिकतम 5 लाख रुपए तक राशि देय होती है। वैष्णव ने राष्ट्रीय लोक अदालत के बारे में भी विस्तृत जानकारी प्रदान करते हुए महिला सशक्तिकरण पर विशेषरूप से प्रकाश डाला। देवगढ़ समिति अध्यक्ष शर्मा ने बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 के बारे में जानकारी देते बाल विवाह होने की स्थिति में बाल विवाह शुन्यीकरण की न्यायिक प्रक्रिया से भी अवगत करवाया।
उन्होंने कहा कि बाल विवाह होने की सूचना मिलने पर स्थानीय ग्राम सचिव, निकटतम पुलिस थाना, विद्यालय प्रधानाध्यापक, सरंपच, पटवारी, उपखण्ड अधिकारी अध्यक्ष तालुका विधिक सेवा समिति या जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के हेल्पलाईन नम्बर 8306002135 पर सूचना दी जा सकती है। उन्होंने कहा कि बाल विवाह एक सामाजिक कुरीति है। इस कुरीति के उन्मूलन के लिए शिक्षा एवं जागरूकता की आवश्यकता है।
वहीं भीम समिति अध्यक्ष अजीत कुड़ी ने आर्टिकल 14 के तहत सभी समानता का अधिकार के तहत महिला अधिकारिता के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि सामाजिक कुरीतियों की वजह से गर्भ में ही भु्रण परीक्षण करवाकर बालिका शिशु को गर्भ में ही मार दिया जाता है जो काुननन दण्डनीय अपराध है। जिसके तहत भु्रण पर करवाने वाले तथा परीक्षण करने वाला चिकित्सक कठोर दण्ड के भागीदार होते है। उन्होंने पर्यावरण के विषय पर चर्चा करते हुए पर्यावरण संरक्षण पर जोर दिया। अंत में कुड़ी द्वारा सभी वक्ताओं एवं प्रतिभागियों आभार ज्ञापित करते हुए विधिक जानकारी को अधिकाधिक आमजन के बीच प्रचार-प्रसार करने का आह्वान किया।